क्या जाने किस आँगन में वो अब्र का टुकड़ा बरसा होगा
हो के ख़फ़ा पहले तो उस ने रस्म-ए-वफ़ा को तोड़ा होगा
दिल के हाथों बेबस हो कर फिर मुझ को ख़त लिक्खा होगा
अपने छोटे से कमरे में खोया खोया तन्हा तन्हा
याद किसी की आती होगी चुपके चुपके रोता होगा
आइना दिल का टुकड़े टुकड़े अक्स-ए-तमन्ना बिखरे बिखरे
आख़िर ऐसा कौन आया था जिस ने पत्थर फेंका होगा
जिस ने सब की प्यास बुझाई प्यास न उस की समझा कोई
वो तो इक ऐसा दरिया था सदियों से जो प्यासा होगा
बाम-ओ-दर हैं महके महके चारों तरफ़ ख़ुशबू के डेरे
शायद आया होगा 'नज़र' वो घर यूँही कब महका होगा
स्रोत :
ગુજરાતી ભાષા-સાહિત્યનો મંચ : રેખ્તા ગુજરાતી
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