मरज़ इक तरफ़ और दवा इक तरफ़
मरज़ इक तरफ़ और दवा इक तरफ़
ख़ुदाया है मेरी सदा इक तरफ़
मगर मेरी आँखों में दोनों चराग़
दवा इक तरफ़ और दुआ इक तरफ़
ख़ुदा उन के हिस्से में मंज़िल उतार
सफ़र इक तरफ़ रास्ता इक तरफ़
मुक़द्दर पे दोनों के पहरे हैं क्या
मेहन इक तरफ़ और सिला इक तरफ़
नया मै-कदा है चलन भी नया
शराब इक तरफ़ है नशा इक तरफ़
ख़ुदा मेरे क़ाबू में आए न रंग
कि संग इक तरफ़ है हिना इक तरफ़
अज़िय्यत दवा को चिढ़ाती हुई
मतब दर मतब सिलसिला इक तरफ़
मरीज़ इक अकेला दवाएँ हज़ार
ग़रीब इक तरफ़ अग़निया इक तरफ़
मिरे हाल-ए-दिल का किसे होश है
हवा इक तरफ़ है फ़ज़ा इक तरफ़
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