न एहतिजाज न आवारगी में देख मुझे
न एहतिजाज न आवारगी में देख मुझे
जो हो सके तो मिरी रौशनी में देख मुझे
गुल-ए-हवस भी है शाख़-ए-विसाल का हिस्सा
चराग़-ए-लाला की ताज़ा कली में देख मुझे
वज़ाहतों से तू कुछ भी समझ न पाएगा
कभी ग़ुबार कभी तीरगी में देख मुझे
फ़ज़ा-ए-याद में तब्दीलियाँ नहीं होतीं
जदीद शख़्स पुरानी गली में देख मुझे
सितारा ताब ज़माने की यादगार हूँ मैं
किसी मलाल न शर्मिंदगी में देख मुझे
मैं एक बूँद सर-ए-नोक-ए-ख़ार-ए-सहरा हूँ
तुलू-ए-सुब्ह-ए-दम-ए-आख़िरी में देख मुझे
मिरे बयान के जाह-ओ-जलाल पर मत जा
मिरे ख़याल की पस-मांदगी में देख मुझे
- पुस्तक : Kulliyat-e-Asad Badayuni (पृष्ठ 414)
- रचनाकार : Asad Badayuni
- प्रकाशन : National Council for Promotion of Urdu language-NCPUL (Asad Badayuni)
- संस्करण : Asad Badayuni
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