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नज़र करो वहदत ओ कसरत बहम शामिल हैं शीशे में

मीर हसन

नज़र करो वहदत ओ कसरत बहम शामिल हैं शीशे में

मीर हसन

MORE BYमीर हसन

    नज़र करो वहदत कसरत बहम शामिल हैं शीशे में

    अगर शीशा है महफ़िल में तो ये महफ़िल है शीशे में

    दिल-ए-नाज़ुक में आशिक़ के नहीं है सख़्त-जानी ये

    फ़ुसून-ए-फ़िक्र से उतरी हुई इक सिल है शीशे में

    जा तू जाम पर जमशेद के देख मीना को

    यहाँ कैफ़िय्यत-ए-हर-दो-जहाँ हासिल है शीशे में

    लिखा है अपने दिल में नाम तेरा मैं ने सनअत से

    वगर्ना हर्फ़ का लिखना बहुत मुश्किल है शीशे में

    नहीं है दाग़ ये दिल में कि जिस से सीना रौशन है

    जो देखा ख़ूब तो अक्स-ए-मह-ए-कामिल है शीशे में

    परी-रू शीशा-ए-दिल में तो है पर क्यूँकि देखूँ मैं

    कि जब देखूँ तो अपना अक्स ही हाइल है शीशे में

    'हसन' गर पारसा हूँ मैं तो नाचारी से हूँ वर्ना

    नज़र है जाम पर मेरी सदा और दिल है शीशे में

    स्रोत :
    • Deewan-e-Meer Hasan

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