निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे
निगाह-ए-लुत्फ़ मत उठ ख़ूगर-ए-आलाम रहने दे
हमें नाकाम रहना है हमें नाकाम रहने दे
किसी मासूम पर बे-दाद का इल्ज़ाम क्या मा'नी
ये वहशत-ख़ेज़ बातें इश्क़-ए-बद-अंजाम रहने दे
अभी रहने दे दिल में शौक़-ए-शोरीदा के हंगामे
अभी सर में मोहब्बत का जुनून-ए-ख़ाम रहने दे
अभी रहने दे कुछ दिन लुत्फ़-ए-नग़्मा मस्ती-ए-सहबा
अभी ये साज़ रहने दे अभी ये जाम रहने दे
कहाँ तक हुस्न भी आख़िर करे पास-ए-रवा-दारी
अगर ये इश्क़ ख़ुद ही फ़र्क़-ए-ख़ास-ओ-आम रहने दे
ब-ईं रिंदी 'मजाज़' इक शायर-ए-मज़दूर-ओ-दहक़ाँ है
अगर शहरों में वो बद-नाम है बद-नाम रहने दे
- पुस्तक : Kulliyaat-e-Majaz (पृष्ठ 198)
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