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पिछली सदी के बूढ़े पेड़

मालिकज़ादा जावेद

पिछली सदी के बूढ़े पेड़

मालिकज़ादा जावेद

MORE BYमालिकज़ादा जावेद

    पिछली सदी के बूढ़े पेड़

    लम्बे चौड़े ऊँचे पेड़

    जिन की शाख़ पे झूले हम

    कितने कुशादा थे वे पेड़

    बाग़ लगा कर देख ज़रा

    आड़े तिरछे सीधे पेड़

    इस तूफ़ानी बारिश में

    जड़ से उखड़े कितने पेड़

    डार से बिछड़े पत्तों पर

    रंज करेंगे बूढ़े पेड़

    गाँव का मौसम कैसा है

    क्या गाते हैं नग़्मे पेड़

    क़िस्मत में सहराई की

    नन्हे मुन्ने छोटे पेड़

    सब्ज़-रुतों में होते हैं

    पीले उजड़े सूखे पेड़

    हम भी घर को लौट आए

    आँधी से जब सहमे पेड़

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