Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

रंज-ओ-मलाल-ओ-ग़म से किसी को मफ़र नहीं

शोला करारवी

रंज-ओ-मलाल-ओ-ग़म से किसी को मफ़र नहीं

शोला करारवी

MORE BYशोला करारवी

    रोचक तथ्य

    Mushaira- Tahmmul Day, February 20, 1960, Northern Railway Institute, Allahabad, chaired by Nafisul Hassan, Chairman, Public Service Commission, UP

    रंज-ओ-मलाल-ओ-ग़म से किसी को मफ़र नहीं

    आज़ाद क़ैद-ए-फ़िक्र से कोई बशर नहीं

    दिल में लगी है आग जिगर पर असर नहीं

    ये दर्द और है जो इधर है उधर नहीं

    ज़र्रे में कैसे वुसअ'त-ए-कौनैन गई

    ख़ुद अपनी मर्दुमक पे हमारी नज़र नहीं

    खनके उन की बज़्म का साग़र कोई मगर

    अपनी शिकस्त शीशा-ए-दिल की ख़बर नहीं

    दम-भर का फ़ासला है हयात-ओ-ममात में

    मंज़िल कोई अब उस से सिवा मुख़्तसर नहीं

    हिचकी शब-ए-फ़िराक़ की कुछ कह रही है और

    या'नी हमारी याद से वो बे-ख़बर नहीं

    पीरी में ख़्वाब देख रहा हूँ शबाब के

    जैसे अभी है रात नुमूद-ए-सहर नहीं

    क़ैद-ए-सुजूद-ए-दैर-ओ-हरम फिर है क्या ज़रूर

    वो ला-मकाँ है उस का कोई संग-ए-दर नहीं

    मैं देखता हूँ सनअ'त-ए-सन्ना-ए-रोज़गार

    देखूँ तुम्हें ये अपना मज़ाक़-ए-नज़र नहीं

    मरने के बा'द होती है महसूस अब कमी

    बज़्म-ए-अदब में 'शो'ला' तहम्मुल दिगर नहीं

    स्रोत :
    • पुस्तक : Naghmah-e-Fikr (पृष्ठ 89)
    • रचनाकार : Shola Saiyed Momin Husain Taqvi Kararivi
    • प्रकाशन : Shabistan 218 Shahah ganj Allahabad (1968)
    • संस्करण : 1968

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए