रौशनी का सबब इश्क़ है
नग़्मगी का सबब इश्क़ है
ख़ाक-ए-नापाक की ख़ल्क़ पर
बरतरी का सबब इश्क़ है
रूह में खिलते जज़्बात की
ताज़गी का सबब इश्क़ है
मुझ से बे-बाक इंसान की
बेबसी का सबब इश्क़ है
मुझ फ़क़ीर-ए-कम-आमेज़ की
सरवरी का सबब इश्क़ है
सर-कशी का सबब है हवस
बंदगी का सबब इश्क़ है
बाइ'स-ए-इश्क़ है ज़िंदगी
ज़िंदगी का सबब इश्क़ है
ऐ 'सहर' मान भी ले तिरी
शाइ'री का सबब इश्क़ है
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