सनम का नूर देखा है ख़ुदा के नूर के बदले
सनम का नूर देखा है ख़ुदा के नूर के बदले
सिराज मीर ख़ान साहब सहर
MORE BYसिराज मीर ख़ान साहब सहर
सनम का नूर देखा है ख़ुदा के नूर के बदले
हुआ है दाग़-ए-दिल रौशन चराग़-ए-तूर के बदले
अनल-हक़ के एवज़ लब से अनल-महबूब जारी हो
चढ़ाएँ दार पर मुझ को अगर मंसूर के बदले
जो देखेंगे तिरे हुस्न-ए-जहाँ-आरा को महशर में
ख़ुदा से लोग माँगेंगे तुझी को हूर के बदले
पस-ए-मुर्दन अगर यारो मयस्सर हो तो रख देना
कफ़न में ख़ाक-ए-कू-ए-दिलरुबा काफ़ूर के बदले
ख़ुदाया इश्क़-ए-बुत में इस क़दर सख़्ती उठाई है
कि पहलू में है इक पत्थर दिल-ए-रंजूर के बदले
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