शब कुछ ऐसे चली पवन ख़ाली
शब कुछ ऐसे चली पवन ख़ाली
कर गई रूह से बदन ख़ाली
लड़कियाँ गाँव से सिधार गईं
हिरनियों से हुए ख़ुतन ख़ाली
ख़ाक में मिल गए हैं शेर जवाँ
मौत से भर गए हैं रन ख़ाली
सानेहा इस से बढ़ के क्या होगा
यार बैठे हैं अंजुमन ख़ाली
हम अगर हैं तो क्यूँ रहें हम से
ये ज़मीं और ये ज़मन ख़ाली
अब वो माह-ए-मुनीर है 'नासिर'
थी जो पहले-पहल किरन ख़ाली
- पुस्तक : Pakistani Adab (पृष्ठ 696)
- रचनाकार : Dr. Rashid Amjad
- प्रकाशन : Pakistan Academy of Letters, Islambad, Pakistan (2009)
- संस्करण : 2009
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