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शमीम-ए-गुल की तरह निकहत-ए-हिना की तरह

मुबारक मुंगेरी

शमीम-ए-गुल की तरह निकहत-ए-हिना की तरह

मुबारक मुंगेरी

MORE BYमुबारक मुंगेरी

    शमीम-ए-गुल की तरह निकहत-ए-हिना की तरह

    गुज़र रहे हैं ख़यालों में वो सबा की तरह

    ग़ुरूर-ए-हुस्न की सूरत मिरी अना की तरह

    वो बे-नियाज़ हैं मुझ से मिरे ख़ुदा की तरह

    नवा-ए-दर्द है जिबरील की सदा की तरह

    दिल-ए-हज़ीं है मिरा वादी-ए-हिरा की तरह

    हवस का नाम दे जज़्बा-ए-मोहब्बत को

    मिरे ख़ुलूस को रुस्वा कर वफ़ा की तरह

    सुकून-ए-दिल को मयस्सर कहाँ सबात यहाँ

    मिली ख़ुशी भी वो उम्र-ए-गुरेज़-पा की तरह

    वो एक आह भी समझा शरीक-ए-दर्द जिसे

    रुकी है लब पे मिरे हर्फ़-ए-मुद्दआ' की तरह

    अदा-ए-पुर्सिश-ए-अहवाल इक फ़रेब सही

    मगर वो शोख़ मिला दर्द-आश्ना की तरह

    नफ़स नफ़स में है ख़ुशबू-ए-पैरहन किस की

    मशाम-ए-जाँ है मिरा फूल की क़बा की तरह

    रह-ए-वफ़ा में 'मुबारक' ये बेबसी मेरी

    मैं कारवाँ से बिछड़ कर हूँ नक़्श-ए-पा की तरह

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