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शौक़ करता है सफ़र बाँग-ए-दरा से पहले

सरोश लखनवी

शौक़ करता है सफ़र बाँग-ए-दरा से पहले

सरोश लखनवी

MORE BYसरोश लखनवी

    शौक़ करता है सफ़र बाँग-ए-दरा से पहले

    कान बजते हैं मोहब्बत में सदा से पहले

    शर्त इतनी है कि तकमील हो महरूमी की

    जल्वा दिखलाती है तासीर दुआ से पहले

    इश्क़ और हुस्न किसी अह्द में बे-लाग थे

    महवियत शौक़ से शोख़ी थी हया से पहले

    मुख़्तसर ज़िंदगी-ए-इश्क़ की रूदाद ये है

    मौत आती है कई बार क़ज़ा से पहले

    इस बुरे हाल में भी पास-ए-मोहब्बत देखो

    दिल ने दम तोड़ दिया ख़ून-ए-वफ़ा से पहले

    ज़ानू-ए-दोस्त पे राहत ये मिली वक़्त-ए-अख़ीर

    लग गई आँख मुरी ख़्वाब-ए-फ़ना से पहले

    आज हैं फ़ित्ना-ए-दौरान-ओ-क़यामत आशोब

    वही नज़रें जो उठती थीं हया से पहले

    दास्ताँ हुस्न-ए-हक़ीक़त की थी रंगीन लेकिन

    इतनी रंगीं थी ख़ून-ए-शोहदा से पहले

    इस कमी पर है वो आलम कि इलाही तौबा

    हाए क्या चीज़ थे तुम तर्क-ए-वफ़ा से पहले

    अभी ज़ेबा नहीं तुझ को गिला-ए-बे-असरी

    ख़ून-ए-दिल शर्त है तासीर-ए-वफ़ा से पहले

    बदले बदले से हैं कुछ हुस्न के तेवर ऐसे

    सर-निगूँ इश्क़ है इक़रार-ए-ख़ता से पहले

    दिल में यूँ है तिरी निखरी हुई ज़ुल्फ़ों का ख़याल

    जैसे मतला पे धुँदलका हो घटा से पहले

    हाए बे-ख़्वाबी-ए-यक-उम्र-ए-वफ़ा का ये मआल

    सो गया मैं तिरे दामन की हवा से पहले

    है वो बालीदा-ओ-शादाब चमन तब्अ'-ए-'सरोश'

    फूल खिलते हैं जहाँ बाद-ए-सबा से पहले

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