सुब्ह के बारह बजे रात का मतलब समझे
सुब्ह के बारह बजे रात का मतलब समझे
कोई ऐ काश मिरी बात का मतलब समझे
मेरे बिस्तर पे पड़ी हैं मिरी भीगी आँखें
उस से कह दो कि वो बरसात का मतलब समझे
एक शा'इर हूँ यही नाम-ओ-नसब है मेरा
पर यहाँ कौन मिरी ज़ात का मतलब समझे
देर से हम पे खुले वस्फ़ तिरे शजरे के
देर से हम तिरी औक़ात का मतलब समझे
ज़ेब-तन माँ ने ही कर रक्खा है जिद्दत का लिबास
बेटी फिर कैसे रिवायात का मतलब समझे
बद-'अमल जितने हैं वो साहब-ए-मसनद हैं यहाँ
ऐसे में कौन मुकाफ़ात का मतलब समझे
ख़ुत्बा ज़ैनब ने दिया जब सर-ए-दरबार-ए-यज़ीद
ना-समझ तब कहीं सादात का मतलब समझे
जिस का मक़्सूम सफ़ा मर्वा न का'बे का तवाफ़
कैसे 'वासिफ़' वो भला सात का मतलब समझे
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