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सुकून-ए-दिल फ़ना है और मैं हूँ

आदिल हयात

सुकून-ए-दिल फ़ना है और मैं हूँ

आदिल हयात

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    सुकून-ए-दिल फ़ना है और मैं हूँ

    ग़मों का क़ाफ़िला है और मैं हूँ

    कहानी कह रही है रात अपनी

    मुक़ाबिल आइना है और मैं हूँ

    निसाब-ए-गर्दिश-ए-शाम-ओ-सहर है

    सर-ए-रह हादिसा है और मैं हूँ

    कहूँ क्या हस्ती-ए-ना-मोतबर हूँ

    तिरा ही आसरा है और मैं हूँ

    वही नैरंगी-ए-रंग-ए-ज़माना

    वही दिल की सदा है और मैं हूँ

    अगरचे जिस्म रखता हूँ मैं 'आदिल'

    बदन सर से जुदा है और मैं हूँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : Sitara Sang (Gazals) (पृष्ठ 60)
    • रचनाकार : Adil Hayat
    • प्रकाशन : Nirali Duniya Publications,Darya Ganj, Delhi (2004)
    • संस्करण : 2004

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