सूझी तदबीर न कुछ रंज-ओ-बला से पहले
सूझी तदबीर न कुछ रंज-ओ-बला से पहले
ज़िंदगी छोड़ गई साथ क़ज़ा से पहले
ये सुलगता हुआ इफ़्लास का चढ़ता सूरज
मार डाले न कहीं गर्म हवा से पहले
आसमाँ पर भी पहुँचना कोई दुश्वार नहीं
चाहिए दिल में तड़प हर्फ़-ए-दुआ से पहले
राख के ढेर तुम्हें इस की गवाही देंगे
मुझ को अपनों ने जलाया चिता से पहले
प्यार का नाम भी बदनाम हो जाए 'असर'
तुम बुझा दो ये दिया तेज़ हवा से पहले
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