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तमन्ना दिल में घर करती बहुत है

सुहैल अहमद ज़ैदी

तमन्ना दिल में घर करती बहुत है

सुहैल अहमद ज़ैदी

MORE BYसुहैल अहमद ज़ैदी

    तमन्ना दिल में घर करती बहुत है

    हवा इस दश्त में चलती बहुत है

    जमाना रंग इस दुनिया से सीखे

    कि है तो कुछ नहीं बनती बहुत है

    उसे इक पल कभी रहने देना

    फफूँदी क़ल्ब पर जमती बहुत है

    कि सारी उम्र अँगारे चुने हैं

    हथेली हाथ की जलती बहुत है

    'सुहैल-अहमद' समझ कर सर्फ़ करना

    ज़रा सी ज़िंदगी लगती बहुत है

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