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तन्हाई के शो'लों पे मचलने के लिए था

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

तन्हाई के शो'लों पे मचलने के लिए था

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

MORE BYसैफ़ ज़ुल्फ़ी

    तन्हाई के शो'लों पे मचलने के लिए था

    क्या मुझ सा जवाँ आग में जलने के लिए था

    क्या कातिब-ए-तक़दीर से ज़ख़्मों की शिकायत

    जो तीर था तरकश में सो चलने के लिए था

    जलता है मिरे दिल में पड़ा दाग़ की सूरत

    जो चाँद सर-ए-अर्श निकलने के लिए था

    इस झील में तुझ से भी कोई लहर उठी

    और तू मिरी तक़दीर बदलने के लिए था

    मायूस जा ग़म-ए-दौराँ मिरे नज़दीक

    तू ही मिरी बाँहों में मचलने के लिए था

    ये डसती हुई रात गुज़र जाएगी यारो

    वो हँसता हुआ दिन भी तो ढलने के लिए था

    कुछ आँच मिरे लम्स की गर्मी से भी पहुँची

    वो बर्फ़ सा पैकर भी पिघलने के लिए था

    तफ़रीक़ ने मुल्कों की तराशे हैं अक़ाएद

    इंसान बस इक राह पे चलने के लिए था

    ज़िंदा है मिरी फ़िक्र मिरे कर्ब से 'ज़ुल्फ़ी'

    ये फूल इसी शाख़ पे फलने के लिए था

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