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तरन्नुम में गवय्ये की तरह से तान पैदा कर

रऊफ़ रहीम

तरन्नुम में गवय्ये की तरह से तान पैदा कर

रऊफ़ रहीम

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    तरन्नुम में गवय्ये की तरह से तान पैदा कर

    नए अंदाज़ से शे'रों में अपने जान पैदा कर

    अगर तू काना राजा है तो अंधों का बना हल्क़ा

    तू अपनी शाइरी के वास्ते मैदान पैदा कर

    अगर मशहूर होना है तो अपनी जेब कर ख़ाली

    कहीं से ग़ैर मतबूआ कोई दीवान पैदा कर

    रख अपने हाथ में पत्ते शराब-ओ-जाम चौसर भी

    मिरे हमदम सफ़र के वास्ते सामान पैदा कर

    हथेली में दिखा जन्नत मुरीदों को ही मुर्शिद

    हक़ीक़त में है दाना तो कोई नादान पैदा कर

    अगर पी-ऐच-डी करनी हो तो अच्छे गाईड को चुन ले

    अदब में डिग्री ले कर इक नया हैजान पैदा कर

    हमारी शाइरी को जाँचना ही है अगर नाक़िद

    तो सुध-बुध शाइरी की शे'र की पहचान पैदा कर

    जो कहलाना हो शाइ'र तो कह अशआ'र ना-मौज़ूँ

    कम-अज़-कम शाइरी में वज़्न की तू जान पैदा कर

    'रहीम' आलाम का हद-ए-नज़र तक इक समुंदर है

    हो मुमकिन तो ख़ुशी का इस में इक तूफ़ान पैदा कर

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