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थे सब के हाथ में ख़ंजर सवाल क्या करता

नूर मुनीरी

थे सब के हाथ में ख़ंजर सवाल क्या करता

नूर मुनीरी

MORE BYनूर मुनीरी

    रोचक तथ्य

    (On the backdrop of the 2002 Gujarat tragedy)

    थे सब के हाथ में ख़ंजर सवाल क्या करता

    मैं बे-गुनाही का अपनी मलाल क्या करता

    उसी के एक इशारे पे क़त्ल-ए-आम हुआ

    अमीर-ए-शहर से मैं अर्ज़-ए-हाल किया करता

    मैं क़ातिलों की निगाहों से बच के भाग आया

    कि मेरे साथ थे मेरे अयाल क्या करता

    धरम के नाम पर इंसानियत की नस्ल-कुशी

    ज़माना ऐसी भी क़ाएम मिसाल क्या करता

    जले मकान जले जिस्म जल-बुझा सब कुछ

    वो इस से बढ़ के हमें पाएमाल क्या करता

    बटे हुए हैं हमी अपने अपने ख़ानों में

    हमारा वर्ना कोई ऐसा हाल क्या करता

    स्रोत :
    • पुस्तक : Shahar Ki Faseelon Se (पृष्ठ 60)
    • रचनाकार : Noor Muneeri
    • प्रकाशन : Khan Publications (2004)
    • संस्करण : 2004

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