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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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तिरी तन्हाई का दुख आश्कारा हो रहा है

क़मर रज़ा शहज़ाद

तिरी तन्हाई का दुख आश्कारा हो रहा है

क़मर रज़ा शहज़ाद

तिरी तन्हाई का दुख आश्कारा हो रहा है

बिछड़ती साअ'तों में तू हमारा हो रहा है

हिसाब-ए-दोस्ताँ दर-दिल अगर है तो जाने

यहाँ अब क्या मुरत्तब गोशवारा हो रहा है

अज़ाब-ए-मस्लहत की क़ैद में हैं लोग और तू

समझता है यहाँ सब का गुज़ारा हो रहा है

कहीं से इक कड़ी गुम है हमारी गुफ़्तुगू में

ब-ज़ाहिर तो ये दुख तर्सील सारा हो रहा है

अगर कोई नहीं है आईने के पार 'शहज़ाद'

तो फिर ये कौन हम पर आश्कारा हो रहा है

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