तुझ पे एहसान जान करता हूँ
तुझ पे एहसान जान करता हूँ
अपने अरमान दान करता हूँ
रोज़ आँसू बहाता रहता हूँ
रोज़ ख़ाली मकान करता हूँ
मेरे सब कुछ अधीन होता है
जिस तरफ़ मैं कमान करता हूँ
आप आता है रू-ब-रू सब कुछ
मैं तो केवल गुमान करता हूँ
दस्तकें जान लेने लगती हैं
बंद जब भी दुकान करता हूँ
हल चलाती है ज़िंदगी मेरी
और मैं मिट्टी समान करता हूँ
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