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वा'दा गर रोज़ किए जाइएगा

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

वा'दा गर रोज़ किए जाइएगा

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

MORE BYसय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

    वा'दा गर रोज़ किए जाइएगा

    रोज़ समझूँगा कि आज आइएगा

    जान का ग़म नहीं ग़म ये है कि आप

    क़त्ल कर के मुझे पछ्ताइएगा

    मैं भी हूँ हज़रत-ए-नासेह दाना

    कुछ समझ कर मुझे समझाइएगा

    लाग़र इतना हूँ कि हूँ घर में मगर

    मेरे घर में मुझे पाइएगा

    तुम नहीं क़ौल-ओ-क़सम के सच्चे

    झूट कहता हूँ क़सम खाइएगा

    दर पे रहने की इजाज़त दे कर

    कहते हैं पाँव फैलाइएगा

    क्या है जो कहते हो मुतरिब से तुम आज

    कोई 'नाज़िम' की ग़ज़ल गाइएगा

    स्रोत :
    • पुस्तक : Ghazal Usne Chhedi(3) (पृष्ठ 158)
    • रचनाकार : Farhat Ehsas
    • प्रकाशन : Rekhta Books (2017)
    • संस्करण : 2017

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