वफ़ा करना वफ़ा-ना-आश्ना के साथ भी रहना
वफ़ा करना वफ़ा-ना-आश्ना के साथ भी रहना
चराग़-ए-ज़िंदगी ले कर हवा के साथ भी रहना
शिकस्त-ए-शीशा-ए-दिल पर बजाए अश्क-अफ़्शानी
कभी ऐ चश्म-ए-तर दस्त-ए-दुआ' के साथ भी रहना
महकना बोए गुल बन कर कभी सेहन-ए-गुलिस्ताँ में
कभी सर-गश्ता आवारा सबा के साथ भी रहना
मुहीत-ए-आब-ओ-गिल में जल्वा-फ़रमाई ब-हर-मंज़र
निहाँ नज़रों से भी दिल की सदा के साथ भी रहना
परस्तिश भी बुतान-ए-आरज़ू की रोज़-ओ-शब ज़ाहिद
कभी मरदान-ए-हक़ अहल-ए-सफ़ा के साथ भी रहना
ये क्या है दूर ही से पुर्सिश-ए-अहवाल की ज़हमत
शरीक-ए-रंज-ओ-राहत हो तो आ के साथ भी रहना
है तौक़ीर-ए-मोहब्बत फ़र्ज़ अरबाब-ए-मोहब्बत पर
उठाना नाज़ भी लेकिन अना के साथ भी रहना
शुऊ'र-ए-रह-नवर्दी इस क़दर लाज़िम है रहरव पर
रविश पर अपनी चलना रहनुमा के साथ भी रहना
ये दुनिया कम नहीं है वादी-ए-पुर-ख़ार से 'अतहर'
गुज़रना इस से है दामन बचा के साथ भी रहना
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