वो दिलकशी वो तसव्वुर किसी नज़र में नहीं
रोचक तथ्य
Dedicated to Raza Mehdi
वो दिलकशी वो तसव्वुर किसी नज़र में नहीं
तुम्हारे जैसी कोई शय हमारे घर में नहीं
ये ज़िंदगी भी अजब चीज़ है ख़ुदा की पनाह
इसे सँभाल के रखना मिरे हुनर में नहीं
ये किस की आह की फुन्कार है कि अब के बरस
तुम्हारे होंटों की कोई दुआ असर में नहीं
मैं एक उम्र से हूँ शामिल-ए-सफ़र लोगो
मगर ये क्या कि मिरे पाँव रहगुज़र में नहीं
तमाम कुतुब-ओ-रसाइल वरक़ वरक़ देखे
बहुत दिनों से 'असद' तुम किसी ख़बर में नहीं
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