वो मेरा था मगर एक अजनबी भी
वो मेरा था मगर एक अजनबी भी
सुरय्या सुल्ताना नसीम नियाज़ी
MORE BYसुरय्या सुल्ताना नसीम नियाज़ी
वो मेरा था मगर एक अजनबी भी
था सब कुछ पास मेरे और कमी भी
अजब अंदाज़ था मेरे जुनूँ का
ख़िरद के साथ थी दीवानगी भी
हम अपने शहर में इस तरह आए
न पहचानी गई कोई गली भी
ये क्या हालत हुई गुलशन की आख़िर
गुल-ओ-बुलबुल नहीं कोई कली भी
तुम्हारा आस्ताना क्या मिला है
मिली है बंदगी और ज़िंदगी भी
अँधेरों में ग़मों के रौशनी भी
तसव्वुर से तिरे इक बे-ख़ुदी भी
मिला अपना पता उस को जो ढूँडा
ज़रा सी काम आई आगही भी
'नसीम' ऐसा हुआ दिल मुज़्तरिब कुछ
न भाई मुझ को फूलों की हँसी भी
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