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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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ज़ब्त करना न कभी ज़ब्त में वहशत करना

अय्यूब ख़ावर

ज़ब्त करना न कभी ज़ब्त में वहशत करना

अय्यूब ख़ावर

MORE BYअय्यूब ख़ावर

    ज़ब्त करना कभी ज़ब्त में वहशत करना

    इतना आसाँ भी नहीं तुझ से मोहब्बत करना

    तुझ से कहने की कोई बात करना तुझ से

    कुंज-ए-तन्हाई में बस ख़ुद को अलामत करना

    इक बगूले की तरह ढूँडते फिरना तुझ को

    रू-ब-रू हो तो शिकवा शिकायत करना

    हम गदायान-ए-वफ़ा जानते हैं दर-ए-हुस्न

    उम्र भर कार-ए-नदामत पे नदामत करना

    असीर-ए-क़फ़स सहर-ए-अना देख कर

    कितना मुश्किल है तिरे शहर से हिजरत करना

    फिर वही ख़ार-ए-मुग़ीलाँ वही वीराना है

    कफ़-ए-पा-ए-जुनूँ फिर वही ज़हमत करना

    सूरत माह-ए-मुनीर अब के सर-ए-बाम कर

    हम ग़रीबों को भी कुछ रंज इनायत करना

    जमा करना तह-ए-मिज़्गाँ तुझे क़तरा क़तरा

    रात भर फिर तुझे टुकड़ों में रिवायत करना

    काम ऐसा कोई मुश्किल तो नहीं है 'ख़ावर'

    मगर इक दस्त-ए-हिना-रंग पे बैअत करना

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    अय्यूब ख़ावर

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