मनक़बत
मन्क़बत में हज़रत मोहम्मद साहब के साथियों, इमामों और दूसरे बुज़ुर्गों की प्रशंसा की जाती है। ये सामान्यतः किसी नज़्म के एक हिस्से और क़सीदे के रूप मे होती है।
1723 -1810
उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है