लड़की की दुआ
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िंदगी भर करे आशिक़ मिरा सेवा मेरी
सुब्ह से शाम तलक हो के मगन गाता रहे
मेरा आशिक़ मिरी उल्फ़त में भजन गाता रहे
यूँ मैं चमकूँ कि ज़माने में अँधेरा हो जाए
कोई लंगड़ा कोई अंधा कोई लूला हो जाए
मेरे जल्वों को अता कर दे वो क़ुदरत या-रब
मेरी नफ़रत को भी समझे वो मोहब्बत या-रब
मेरी फ़ितरत हो अमीरों से मोहब्बत करना
और ग़रीबों की सर-ए-राह मरम्मत करना
भोले-भालों की रक़म ख़ूब खिलाना मुझ को
मिरे अल्लाह सगाई से बचाना मुझ को
तू है मुख़्तार हर इक राज़ का यज़्दानी है
दूध लाने की मिरे घर में परेशानी है
पेशगी ही मिरे दर्ज़ी की रक़म भी भर दे
वक़्त पड़ जाए तो डैडी की चिलम भी भर दे
अपनी दौलत की मिरे हाथ में झोली दे दे
ऐसा आशिक़ नहीं दरकार जो गोली दे दे
मेरा 'लछमन' सा हो देवर मुझे मक़्दूर नहीं
'राम' जैसा मिरा शौहर हो ये मंज़ूर नहीं
जो पिक-अप करता रहे प्यार की बाँहों में मुझे
देख सकता हो जो अग़्यार की बाँहों में मुझे
दावे रखता न हो जो यार पती होने का
जज़्बा रखता हो जो बीवी पे सती होने का
मेरी उल्फ़त में उसे कर दे तू पागल मौला
मैं कहूँ चाय तो मँगवा दे वो कैम्पा-कोला
आई आवाज़-ए-ख़ुदावंद दिए देते हैं
दाख़िला तेरा जे.एन.यू में किए देते हैं
- पुस्तक : kulliyat-e-saghar khyaamii (पृष्ठ 110)
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