मुखम्मस
मुख़म्मस के हर बंद में पाँच मिसरे होते हैं। पहले बंद के पाँचों मिसरे हम-क़ाफ़िया होते हैं और बाक़ी बंदो में भी हर बंद के चार मिसरे हम-क़ाफ़िया होते हैं और आख़िरी मिसरा पहले बंद के आख़िरी मिसरे का हम-क़ाफ़िया होता है। इसका ये रूप भी प्रचलित है कि बाद वाले बंदों में तर्जीअ और बैत भी हो सकते हैं।
उर्दू में हास्य-व्यंग के सबसे बड़े शायर , इलाहाबाद में सेशन जज थे।
विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर
उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है