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अगली रुत की नमाज़

शहनाज़ नबी

अगली रुत की नमाज़

शहनाज़ नबी

MORE BYशहनाज़ नबी

    मैं चाहती हूँ

    कि अगली रुत में मिलूँ जो तुम से

    जनम जनम की थकावटों के ख़ुतूत चेहरे से मिट चुके हों

    क़दम क़दम इक सफ़र की पिछली अलामतें सब गुज़र चुकी हों

    मलाल-ए-सहरा-नवर्दी पाँव के आबलों में सिमट चुका हो

    मुसाफ़िरत की तमाम रंजिश

    मिरे मसामों से धुल चुकी हो

    किसी भी पत्थर का कोई धब्बा

    किसी भी चौखट का कोई क़र्ज़ा

    मिरी जबीं पर रहे लर्ज़ां

    मैं चाहती हूँ कि अगली रुत में मिलें जो हम तुम

    दमक रहा हो यूँ मेरा दामन

    कि तुम जो चाहो

    नमाज़ पढ़ लो

    RECITATIONS

    अज़रा नक़वी

    अज़रा नक़वी,

    अज़रा नक़वी

    अगली रुत की नमाज़ अज़रा नक़वी

    स्रोत :
    • पुस्तक : azadi ke bad urdu nazm (पृष्ठ 755)
    • रचनाकार : shamim hanfi and mazhar mahdi
    • प्रकाशन : qaumi council bara-e-farogh urdu (2005)
    • संस्करण : 2005

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