इलाहाबाद से
रोचक तथ्य
On 2nd February 1945, Sangam's bewitching land celebrated the birthday of the poet who wrote 'Jashn-e-Saal-girah'
इलाहाबाद में हर-सू हैं चर्चे
कि दिल्ली का शराबी आ गया है
ब-सद आवारगी या सद तबाही
ब-सद ख़ाना-ख़राबी आ गया है
गुलाबी लाओ छलकाओ लुंढाओ
कि शैदा-ए-गुलाबी आ गया है
निगाहों में ख़ुमार-ए-बादा ले कर
निगाहों का शराबी आ गया है
वो सरकश रहज़न-ए-ऐवान-ए-ख़ूबाँ
ब-अज़्म-ए-बारयाबी आ गया है
वो रुस्वा-ए-जहाँ नाकाम-ए-दौराँ
ब-ज़ो'म-ए-कामयाबी आ गया है
बुतान-ए-नाज़-फ़रमा से ये कह दो
कि इक तर्क-ए-शहाबी आ गया है
नवा-संजान-संगम को बता दो
हरीफ़-ए-फ़ारयाबी आ गया है
यहाँ के शहर यारों को ख़बर दो
कि मर्द-ए-इंक़िलाबी आ गया है
- पुस्तक : Kullyat-e-majaz (पृष्ठ 169)
- रचनाकार : Asrarul Haque Majaz
- प्रकाशन : Kitabi Duniya (2006)
- संस्करण : 2006
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