मकाँ ला-मकाँ की 'अजब दास्ताँ है
ज़मीन-ओ-ज़माँ से परे भी जहाँ है
जहानों से आगे जहाँ मिल रहे हैं
जहाँ ज़िंदगी के निशाँ मिल रहे हैं
जहाँ हूर-ओ-ग़िल्माँ हैं बाग़-ए-अदन है
वहाँ इक बदन मावरा-ए-बदन है
बदन आसमाँ है बदन ही ज़मीं है
बदन जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है
बदन ज़िंदगी है बदन सरख़ुशी है
बदन रास्ती है बदन बंदगी है
बदन चाँद सूरज बदन कहकशाँ है
बदन ये जहाँ है बदन वो जहाँ है
बदन है समुंदर बदन बे-कराँ है
बदन बिजलियों की चमक में निहाँ है
बदन रंग-ओ-बू है चमन-दर-चमन है
एलोरा अजंता के फ़न में बदन है
बदन मौसमों का नया बाँकपन है
बदन मै-कदा है बदन ही नशा है
बदन की महक से मोअ'त्तर फ़ज़ा है
बदन इब्तिदा है बदन इंतिहा है
बदन इर्तिक़ा है बदन में ख़ुदा है
बदन जो नहीं है ख़ला ही नहीं है
सदा बे-सदा है फ़ना ही फ़ना है
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