बे-रहम शायरों के जुर्म
तुम्हें पूरा हक़ है
नाराज़ होने का
हम बे-रहम शायरों से
हम ने तुम्हें इक तमाशा बना दिया
तुम्हारे दिल में दफ़्न
गहरे-तरीन राज़ों तक
हमारी नज़र पहुँच गई
और हम ने तुम्हें शर्मिंदा कर दिया
दुनिया के सामने
तुम्हारे राज़ों पर नज़्में लिख कर
तुम हमारे जुर्म पर
हमें हथकड़ी न लगवा सके
हमें अदालत न ले जा सके
न फाँसी पर चढ़वा सके
तुम हमारे ख़ून से
अपने हाथ रंगने के लिए भी
ख़ुद को आमादा न कर सके
गो ये कुछ ऐसा मुश्किल भी न था
लेकिन हमें अंदाज़ा है
तुम हम से बदला लेने की ताक़त रखते हो
और इरादा भी
इस बे-रहम दुनिया को छोड़ देने के बावजूद!
- पुस्तक : Quarterly TASTEER Lahore (पृष्ठ 545)
- रचनाकार : Naseer Ahmed Nasir
- प्रकाशन : H.No.-21, Street No. 2, Phase II, Bahriya Town, Rawalpindi (Volume:15, Issue No. 1, 2, Jan To June.2011)
- संस्करण : Volume:15, Issue No. 1, 2, Jan To June.2011
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