बुलंदी और पस्ती
रोचक तथ्य
Note: This Nazm abides the words of Maulana Hali, ubiquitously. Most proverbs and stanzas have been taken in full for the sake of avoiding plagrism
ज़रा पस्ती-ए-क़ौम-ओ-मिल्लत को देखो
और इस की ज़रा ज़ार हालत को देखो
ज़रा दाएँ और बाएँ गर्दन फिराओ
और हम-साया क़ौमों की हालत को देखो
हर इक क़ौम है इल्म-ओ-हिकमत में आगे
और अपनी तबाही-ओ-ग़ुर्बत को देखो
हर इक क़ौम बेदार है किस तरह से
और अपने भी तुम ख़्वाब-ए-ग़फ़लत को देखो
खुली हर तरफ़ हैं तरक़्क़ी की राहें
जो तुम वक़्त और अपनी हालत को देखो
जहाँ में पनपने की क्या क्या हैं राहें
किताब-ए-तरक़्क़ी-ओ-नुसरत को देखो
करो ग़ौर पस्ती पे अपनी ज़रा तुम
और अगले बुज़ुर्गों की अज़्मत को देखो
सबब क्या हुआ मिल गए ख़ाक में हम
जो थे गर्द-ए-राह उन की इज़्ज़त को देखो
ख़ुदा के ग़ज़ब की निशानी है ज़ाहिर
ये बिगड़ी हुई अपनी हालत को देखो
अगर भूल बैठे हो पैग़ाम-ए-ख़ालिक़
हदीस और क़ुरआन की आयत को देखो
कि हम ने बिगाड़ा नहीं कोई अब तक
वो बिगड़ा नहीं आप दुनिया में जब तक
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