दाता और किर्दगार
दाता है तू जहाँ का और किर्दगार तू है
परवरदिगार तू है परवरदिगार तू है
उफ़ कितनी ख़ूबसूरत दुनिया बनाई तू ने
तारों से आसमाँ की बस्ती बसाई तू ने
हर चीज़ के अनोखे अंदाम तू ने रक्खे
हर रंग में निराली क़ुदरत दिखाई तू ने
दाता है तू जहाँ का और किर्दगार तू है
परवरदिगार तू है परवरदिगार तू है
चढ़ते हुए ये दरिया उमडे हुए ये बादल
बहता हुआ ये पानी निखरे हुए ये जल-थल
ये खेत लहलहाते झरने ये गुनगुनाते
आकाश चाँद तारे दरिया पहाड़ जंगल
संसार के चमन की या-रब बहार तू है
परवरदिगार तू है परवरदिगार तू है
बरखा बसंत जाड़ा ये रात दिन का चक्कर
फल-फूल नाज मेवे इक दूसरे से बेहतर
तारीफ़ तेरी या-रब मुमकिन नहीं किसी से
ताक़त नहीं बयाँ की खोलें ज़बान क्यूँकर
तू है पुकार दिल की दिल की पुकार तू है
परवरदिगार तू है परवरदिगार तू है
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