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फरयादात

MORE BYजगन्नाथ आज़ाद

    फ़ासले की तो ख़ैर बात है और

    हैदराबाद दिल से दूर नहीं

    दिल्ली में यूँ ज़बान पे आई दकन की बात

    सहरा में छेड़ देवे कोई जैसे चमन की बात

    बज़्म-ए-ख़िरद में छिड़ तो गई है दकन की बात

    अब इश्क़ ले के आएगा दार-ओ-रसन की बात

    इक हुस्न-ए-दकन था जो निगाहों से छूटा

    हर हुस्न को वर्ना ब-ख़ुदा छोड़ गए हम

    'आज़ाद' एक पल भी दिल को सकूँ मिला

    रस्ते में दकन भी था कहीं लखनऊ के बा'द

    'आज़ाद' फिर दकन का समुंदर है रू-ब-रू

    ले जा दिल-ओ-नज़र का सफ़ीना सँभाल कर

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