अपना यार बनाऊँ किस को
किस के सर पर रखूँ अपने दुखों की
भारी गठरी
सारे लोग तो अंधे गूँगे और बहरे हैं
कोई न देखे कोई न बोले
कोई किसी की बात नहीं सुनता
अपने अपने दुखों में घुटनों घुटनों गड़े हुए हैं
अपनी अपनी हसरतें ले कर जाने कब से बैठे
कौन किसी का भरता है पियाला
बोझ किसी का कौन उठाए
अपना पियाला अपने हाथों से भरना है
अपनी गठरी आप उठा कर चलना है
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