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इशरत-ए-तन्हाई

असरार-उल-हक़ मजाज़

इशरत-ए-तन्हाई

असरार-उल-हक़ मजाज़

MORE BYअसरार-उल-हक़ मजाज़

    मैं कि मय-ख़ाना-ए-उल्फ़त का पुराना मय-ख़्वार

    महफ़िल-ए-हुस्न का इक मुतरिब-ए-शीरीं-गुफ़्तार

    माह-पारों का हदफ़ ज़ोहरा-जबीनों का शिकार

    नग़्मा-पैरा नवासंज ग़ज़ल-ख़्वाँ हूँ मैं

    कितने दिल-कश मिरे बुत-ख़ाना-ए-ईमां के सनम

    वो कलीसाओं के आहू वो ग़ज़ालान-ए-हरम

    मैं हमा-शौक़-ओ-मोहब्बत वो हमा-लुत्फ़-ओ-करम

    मरकज़-ए-मर्हमत-ए-महफ़िल-ए-ख़ूबाँ हूँ मैं

    मौजज़न है मय-ए-इशरत मिरे पैमानों में

    यास का दर्द है कम-तर मिरे अफ़्सानों में

    कामरानी है पर-अफ़्शाँ मिरे रूमानों में

    यास की सइ-ए-जुनूँ-ख़ेज़ पे ख़ंदाँ हूँ मैं

    मेरे अफ़्कार में महताब की तलअत ग़लताँ

    मेरी गुफ़्तार में है सुब्ह की नुज़हत ग़लताँ

    मेरे अशआर में है फूलों की निकहत ग़लताँ

    रूह-ए-गुलज़ार हूँ मैं जान-ए-गुलिस्ताँ हूँ मैं

    लाख मजबूर हूँ मैं ज़ौक़-ए-ख़ुद-आराई से

    दिल है बेज़ार अब इस इशरत-ए-तन्हाई से

    आँख मजबूर नहीं है मिरी बीनाई से

    महरम-ए-दर्द-ओ-ग़म-ए-आलम-ए-इंसाँ हूँ मैं

    क्यूँ चाहूँ कि हर इक हाथ में पैमाना हो

    यास महरूमी मजबूरी इक अफ़्साना हो

    आम अब फैज़-ए-मय-ओ-साक़ी-ओ-मय-ख़ाना हो

    रिंद हूँ और जिगर-गोश-ए-रिंदाँ हूँ मैं

    अब ये अरमाँ कि बदल जाए जहाँ का दस्तूर

    एक इक आँख में हो ऐश फ़राग़त का सुरूर

    एक इक जिस्म पे हो अतलस कम-ख़्वाब समोर

    अब ये बात और है ख़ुद चाक-गरेबाँ हूँ मैं

    RECITATIONS

    नोमान शौक़

    नोमान शौक़,

    नोमान शौक़

    इशरत-ए-तन्हाई नोमान शौक़

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyaat-e-Majaz (पृष्ठ 156)

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