काले धन पर क़व्वाली
ये शान-ओ-शौकत जो भी है सब बरकत नंबर दो की है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
इक नंबर में तो होता है रो-पीट के सिर्फ़ गुज़ारा जी
जब पेट ही भरना मुश्किल हो क्या होगा खड़ा चुबारा जी
ये आलीशान मकान है जो ये महल ये मंडप जो भी है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
कब चैन मिले उस बंदे को इक नंबर में जो काम करे
हर वक़्त हिसाबों में फँस कर औरों से दुगना टैक्स भरे
गर टैक्स बचाना है बच्चो तो रस्ता नंबर दो ही है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
क्या खाए क्या ख़ैरात करे इक नंबर वाला बंदा जी
दो नंबर बिन कब चलता है ये धरम करम का धंदा जी
दिन रात चले जो लंगर जी ये चढ़त चढ़ावा जो भी है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
लाख कहो काला धन इस को बिन इस के दुनिया अँधियारी
सब रंग तमाशे इस से हैं इस से ही रौनक़ है सारी
ये चमक-दमक है जितनी भी ये नूर ये रंगत जो भी है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
दो नंबर बिन सियासत क्या क्या ख़ाक चुनाव कराएँगे
बिन काली नक़दी के यारो क्या वोट ख़रीदे जाएँगे
ये जीत हुई है जिस की भी ये जनमत बहुमत जो भी है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
हो फ़ीस मुक़द्दमा लड़ने की या रिश्वत ठेका देने की
हर एक डिमांड करे केवल दो नंबर में ही लेने की
इक नंबर का क्या करना जी जब चाह सभी को दो की है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
ये लिश-लिश मोटर-कार जिसे फॉरेन से है इम्पोर्ट किया
जो बड़ी ज़रूरत से बढ़ कर कुल रोड को जिस ने घेर लिया
जो सिगनल को धत कहती है वर्दी भी जिस से डरती है
सब बरकत नंबर दो की है सब बरकत नंबर दो की है
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