केंचुली बदलती रात
पाईं बाग़ में
चाँद उतरा
और चंदन महका
रात की साँवल डाली से
इक नर्म गुलाबी नागिन लिपटी
चारों ओर में
रेशम नर्म हुआ का जंगल
दूद गुलाबी हरियल मख़मल
हौज़ किनारा
सीमीं पानी
झल झल करता जिस्म
उस पर
एक सियाह तिलिस्म
दूर महल की खिड़की में
वो दहका इक अँगारा
सुब्ह के मक़्तल में इक कौंदा
सजल लहू का धारा
सीज पे सज गए
ला-तादाद
बसरे और बग़दाद
मेहराबों से उमड पड़े हैं
सात दिशा के क़ुल्ज़ुम
गर्दन पर आ बैठा है
मौत का तस्मा-पा
जीवन के दरवाज़े पर
कोई पुकारे पैहम
सिम-सिम
सिम-सिम
सिम-सिम
- पुस्तक : Quarterly TASTEER Lahore (पृष्ठ 78)
- रचनाकार : Naseer Ahmed Nasir
- प्रकाशन : Room No.-1,1st Floor, Awan Plaza, Shadman Market, Lahore (Issue No. 4, Jan To Mar.1998)
- संस्करण : Issue No. 4, Jan To Mar.1998
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