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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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ख़ुश्बू

MORE BYमेह्र हुसैन नक़वी

    किसी एहसास को बेदार करती दिल-नशीं ख़ुशबू

    कहीं बारिश की बूंदों से निकलती रेत की ख़ुशबू

    मो'अत्तर करती यादों को किसी

    मानूस से इक 'इत्र की ख़ुशबू

    कभी दुल्हन के हाथों से उठे रंग-ए-हिना बन कर बिखरते ख़्वाब

    की ख़ुशबू

    कहीं रौशन मज़ारों पर अगरबत्ती से फूलों से दु'आओं के जज़ीरे से जुड़ी इक ज़ात की ख़ुशबू

    बहुत नौहा-कुनाँ गिर्या-कुनाँ हर दम महकती सी किसी की क़ब्र पर फैले हुए ताज़ा गुलाबों की बहुत वीरान सी ख़ुशबू

    जुड़ी इक याद से ख़ुशबू

    बहुत नायाब होती है

    मो'अत्तर रूह को कर दे

    पुराने ज़ख़्म सब भर दे हसीं लम्हात की ख़ुशबू

    तो फिर ये भी यक़ीनी है

    'अता एहसास को ये लम्स का

    भी मो'जिज़ा दे कर बहुत मसरूर

    रखती है

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