क्या कहिए
चाय की मेज़ से लग कर मैं खड़ा था ख़ामोश
वो समोसों से भरी प्लेट लिए पास आई
और पूछा बहुत आहिस्ता से
''नाक की कील को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं''
उम्र होगी कोई चौबीस बरस
डेढ़ दो साल का बेटा था बहुत प्यारा सा
जो कभी गोद में होता तो कभी भाग के
आँगन में चला जाता था
नाक में बाएँ तरफ़ कील थी आँखों में चमक
और चमक वो जो गुनाहों को छुपा लेती है
काले बालों में गुँधी शाम की रानाई थी
ऐसी रानाई जो आदाब भुला देती है
ज़ब्त और फ़हम को ना-वक़्त सुला देती है
ख़ून में सोई हुई आग जगा देती है
दाद देना तो बहुत दौर की बात
एक भी नज़्म तवज्जोह से नहीं उस ने सुनी
हम कहीं और रहे और वो कहीं और रही
''नाक की कील को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं''
- पुस्तक : ishq ki taqweem men (पृष्ठ 31)
- रचनाकार : haris khalique
- प्रकाशन : zaki sanz printer karachi (2006)
- संस्करण : 2006
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