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मेरे कमरे में उतर आई ख़मोशी फिर से

मोहसिन नक़वी

मेरे कमरे में उतर आई ख़मोशी फिर से

मोहसिन नक़वी

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    मेरे कमरे में उतर आई ख़मोशी फिर से

    साया-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ की तरह

    शोरिश-ए-दीदा-ए-गिर्याँ की तरह

    मौसम-ए-कुंज-ए-बयाबाँ की तरह

    कितना बे-नुत्क़ है यादों का हुजूम

    जैसे होंटों की फ़ज़ा यख़-बस्ता

    जैसे लफ़्ज़ों को गहन लग जाए

    जैसे रूठे हुए रस्तों के मुसाफ़िर चुप-चाप

    जैसे मरक़द के सिरहाने कोई ख़ामोश चराग़

    जैसे सुनसान से मक़्तल की सलीब

    जैसे कजलाई हुई शब का नसीब

    मेरे कमरे में उतर आई ख़मोशी फिर से

    फिर से ज़ख़्मों की क़तारें जागीं

    अव्वल-ए-शाम-ए-चराग़ाँ की तरह

    हर नए ज़ख़्म ने फिर याद दिलाया मुझ को

    इसी कमरे में कभी

    महफ़िल-ए-अहबाब के साथ

    गुनगुनाते हुए लम्हों के शजर फैलते थे

    रक़्स करते हुए जज़्बों के दहकते लम्हे

    क़र्या-ए-जाँ में लहू की सूरत

    शम-ए-वादा की तरह जलते थे

    साँस लेती थी फ़ज़ा में ख़ुश्बू

    आँख में गुलबन-ए-मर्जां की तरह

    साँस के साथ गुहर ढलते थे

    आज क्या कहिए कि ऐसा क्यूँ है

    शाम चुप-चाप

    फ़ज़ा यख़-बस्ता

    दिल मिरा दिल कि समुंदर की तरह ज़िंदा था

    तेरे होते हुए तन्हा क्यूँ है

    तो कि ख़ुद चश्मा-ए-आवाज़ भी है

    मेरी महरम मिरी हमराज़ भी है

    तेरे होते हुए हर सम्त उदासी कैसी

    शाम चुप-चाप

    फ़ज़ा यख़-बस्ता

    दिल के हमराह बदन टूट रहा हो जैसे

    रूह से रिश्ता-ए-जाँ छूट रहा हो जैसे

    कि तू चश्मा-ए-आवाज़ भी है

    हासिल-ए-नग़्मगी-ए-साज़ भी है

    लब-कुशा हो कि सर-ए-शाम-ए-फ़िगार

    इस से पहले कि शिकस्ता-दिल में

    बद-गुमानी की कोई तेज़ किरन चुभ जाए

    इस से पहले कि चराग़-ए-वा'दा

    यक-ब-यक बुझ जाए

    लब-कुशा हो कि फ़ज़ा में फिर से

    जलते लफ़्ज़ों के दहकते जुगनू

    तैर जाएँ तो सुकूत-ए-शब-ए-उर्यां टूटे

    फिर कोई बंद-ए-गरेबाँ टूटे

    लब-कुशा हो कि मिरी नस नस में

    ज़हर भर दे कहीं

    वक़्त की ज़ख़्म-फ़रोशी फिर से

    लब-कुशा हो कि मुझे डस लेगी

    ख़ुद-फ़रामोशी फिर से

    मेरे कमरे में उतर आई

    ख़मोशी फिर से

    स्रोत :
    • पुस्तक : Kulliyat-e-mohsin (पृष्ठ 960)
    • रचनाकार : Mohsin Naqvi
    • प्रकाशन : Mavra Publishers (2010)
    • संस्करण : 2010

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