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मुझे अच्छा लगता है

अबरार अहमद

मुझे अच्छा लगता है

अबरार अहमद

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    मुझे अच्छे लगते हैं

    बादल जब वो बरसते हैं

    और आँखें जिन में कोई भी बसेरा कर सकता है

    बकरियाँ और बच्चे

    जो सड़क पार कर जाते हैं

    और नहीं देख पाते उस आहनी हाथ को

    जो उन के तआ'क़ुब में दौड़ा चला आता है

    मुझे अच्छे लगते हैं

    डाकिये के क़दम और इन्सोमनिया की चाय

    और बुझी बत्ती का मोटर साइकल

    जो इशारा काटते हुए

    रात में रास्ता बनाता गुज़र जाता है

    बाग़ी नींद दरख़्त और ख़्वाब

    जो इस बेदारी के मौसम में कहीं दिखाई नहीं देते

    मुझे अच्छे लगते हैं

    फ़राग़त और दुख से भरे दिन

    और रातें जब दूर दूर तक बारिश होती है

    और आबाई मकानों की वो शाम

    जब बहनों को रुख़्सत किया जाता है

    पहाड़ के पार के अँधियारे की जानिब

    आँसू और धुँद जिन में साफ़ देखा जा सकता है

    और दिल जिन्हें निशाना बनाया जाता है

    और मिट्टी जिस की जानिब हमें लौटना है

    मुझे अच्छे लगते हैं

    दरीचे जिन से हवा गुज़रती है

    दरवाज़े जो कभी बंद नहीं होते

    और दोस्त जिन के कंधों पर हमेशा हाथ रखा जा सकता है

    और तुम

    लपकते हुए हाथों और दुनिया के दरमियान

    क्या कुछ मौजूद है

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