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नज़्म

सईदुद्दीन

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सईदुद्दीन

MORE BYसईदुद्दीन

    ''मश्कीज़े का पानी उसी रेत पर डाल दो

    और नंगे पाँव मेरे पीछे चले आओ''

    मैं ने सारा पानी रेत पर गिरा दिया

    और नंगे पाँव उस के पीछे हो लिया

    कई सहरा हम ने उबूर कर डाले

    ज़हरीले काँटों और ज़हरीले कीड़ों पर पाँव रखते हुए

    हम आगे बढ़ते रहे

    अचानक मुझे महसूस हुआ

    कि मैं तो सहरा में अकेला ही चला जा रहा हूँ

    तो क्या उस ने मेरे साथ धोका किया?

    मैं तो सहरा के बीच सम्त का तअय्युन करने से भी क़ासिर था

    वो चंद क़दम आगे ही तो था मुझ से

    फिर वो अचानक जाने किस बिल में छुप गया

    मैं ने उसे बहुत पुकारा

    लेकिन मेरी आवाज़ तो सहरा में ऐसे बिखर कर रह गई

    जैसे मेरे मश्कीज़े का पानी

    रेत में जज़्ब हो गया था

    जब तुम सहरा में अपना मश्कीज़ा छोड़ आए

    जब तुम एक साँप के साथ हो लिए

    और तुम्हें पता ही चला कि वो किस बिल में जा छुपा है

    तो तुम्हारे पैर रगड़ने से

    सहरा में चश्मा तो उबलने से रहा

    मेरे मश्कीज़े में पानी नहीं था

    मेरे पाँव नंगे थे

    मुझे किसी मंज़िल का पता नहीं था

    और किसी सम्त का तअय्युन तक करने से

    मैं क़ासिर था

    मेरे पास बस एक ही रास्ता रह गया था

    सो मैं ने अपने पाँव से काँटा निकाला

    और रेत में बो दिया

    चंद घंटों में वो एक साया-दार दरख़्त में तब्दील हो गया

    और उस में अजीब ग़रीब फल पैदा हो गए

    मैं ज़हरीले

    और ग़ैर ज़हरीले फलों में तमीज़ नहीं कर सकता था

    और मेरे लिए

    कोई मन्न सलवा भी आसमान से उतरता नहीं था

    सो मैं ने इन फलों को रग़बत से खाया

    इतने में शाम हो गई

    और सहरा की तारीकी में

    सहरा के ज़हरीले कीड़े मकोड़े

    अपने बिलों से निकल कर मेरे बदन से चिमट गए

    कुर्सी पर नीम-दराज़ हो जाता है

    हम दोनों

    कोई बात नहीं करते

    सिगरेट जलाने के लिए

    एक दूसरे को लाइटर पेश करते हैं

    उस का बस चले तो वो मुझे हलाक कर दे

    मेरे भी उस के बारे में

    यही कुछ जज़्बात हैं

    इस के बावजूद

    जब भी मैं उसे बुलाता हूँ

    वो जाता है

    मेरे बुलावे में इसरार होता है

    धमकी

    कोई शर्त

    ये वो भी जानता है

    मेरे बुलावे में

    किसी ख़्वाहिश की रमक़ नहीं

    हम दोनों

    किसी भी दिन

    अपने क़रीब तरीन सुतून की ओट ले कर

    एक दूसरे को निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं

    लेकिन

    ज़िंदा बचने वाले के मुक़ाबले में

    मर जाने वाला

    ज़्यादा ख़ुश-नसीब साबित होगा

    बचने वाले को

    हलाक होने वाले का जिस्म

    उठा कर चलना होगा

    उस के ख़ून आलूद कपड़े उतार कर

    उसे साफ़ सुथरे कपड़े पहनाने होंगे

    मरने वाले की लाश को

    किसी भी क़िस्म के ख़ुर्दबीनी कीड़ों से

    महफ़ूज़ रखने के लिए

    जतन करना होंगे

    फिर उस की लाश को

    सहारा दे कर

    किसी आराम-दह कुर्सी पर बैठाना होगा

    उस के मुँह से सिगरेट लगाना होगा

    उसे लाइटर भी पेश करना होगा

    बल्कि उस की मौत को

    अपनी मौत समझते हुए

    दो क़ब्रें

    बराबर खोदनी होंगी

    बसें और कारें उन के क़रीब कर

    दरख़्तों को छूती हैं

    और उन्हें

    सड़क के दाएँ या बाएँ हटाने में जुट जाती हैं

    लेकिन उसी दौरान

    शराब की बू उन्हें भी

    बद-मस्त कर देती है

    वो भी सड़क के बीचों-बीच नाचने लगती हैं

    फिर तो बल खाती सड़क भी

    उठ खड़ी होती है

    और ठुमके लगाने लगती है

    घर थरथरा उठते हैं

    उन में सोए हुए मकीन

    हड़बड़ा कर जाग जाते हैं

    उन्हें अपनी आँखों पर यक़ीन नहीं आता

    शराबी दरख़्तों

    नशे में धुत बसों, कारों

    और बद-मस्त नाचती सड़क को

    शहर में बसने वाले लोगों की

    कोई परवा नहीं

    ये देख कर

    आदमी का नशा

    हिरन हो जाता है

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