सच कहो सच कहो हमेशा सच
सच कहो सच कहो हमेशा सच
है भले मानसों का पेशा सच
सच कहोगे तो तुम रहोगे अज़ीज़
सच तो ये है कि सच है अच्छी चीज़
सच कहोगे तो तुम रहोगे शाद
फ़िक्र से पाक रंज से आज़ाद
सच कहोगे तो तुम रहोगे दिलेर
जैसे डरता नहीं दिलावर शेर
सच से रहती है तक़्वियत दिल को
सहल करता है सख़्त मुश्किल को
जिस को सच बोलने की आदत है
वो बड़ा नेक बा-सआ'दत है
सच है सारे मुआमलों की जान
सच से रहता है दिल को इत्मीनान
सच में राहत है और आसानी
सच से होती नहीं पशेमानी
सच है दुनिया में नेकियों की जड़
सच न हो तो जहान जाए उजड़
सच कहोगे तो दिल रहेगा साफ़
सच से हो जाएँगे क़ुसूर मुआ'फ़
सच से ज़िन्हार दर-गुज़र न करो
दिल में कुछ ख़ौफ़ और ख़तर न करो
वही दाना है जो कि है सच्चा
इस में बूढ़ा हो या कोई बच्चा
है बुरा झूट बोलने वाला
आप करता है अपना मुँह काला
फ़ाएदा उस को कुछ न देगा झूट
जाएगा एक रोज़ भांडा फूट
झूट की भूल कर न डालो ख़ू
झूट ज़िल्लत की बात है अख़ थू
- पुस्तक : Urdu Zabaan ki tisari kitab (पृष्ठ 85)
- रचनाकार : Khansahab Molvi Mohd. Ismail
- प्रकाशन : Farid Book Depo(Pvt.) Ltd
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