Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

सुभाष-चंद्र-बोस बहादुर-शाह-ज़फ़र के मज़ार पर

जगन्नाथ आज़ाद

सुभाष-चंद्र-बोस बहादुर-शाह-ज़फ़र के मज़ार पर

जगन्नाथ आज़ाद

MORE BYजगन्नाथ आज़ाद

    अस्सलाम अज़्मत-ए-हिन्दोस्ताँ की यादगार

    शहंशाह-ए-दयार-ए-दिल फ़क़ीर-ए-बे-दयार

    आज पहली बार तेरी क़ब्र पर आया हूँ मैं

    बे-नवा हूँ नज़्र को बे-लौस दिल लाया हूँ मैं

    गर्दिश-ए-तक़दीर के हाथों वतन से दूर हूँ

    एक बुलबुल हूँ मगर सेहन-ए-चमन से दूर हूँ

    शौक़ आज़ादी का मुझ को खींच लाया है यहाँ

    आज दुश्मन है ज़मीं मेरी अदू है आसमाँ

    मैं भी हूँ अपने वतन से दूर तू भी दूर है

    हाँ रज़ा-ए-पाक-ए-यज़्दाँ को यही मंज़ूर है

    मेरा दामन भी यहाँ की ख़ाक से आलूदा है

    फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है मैं आवारा तू आसूदा है

    शह-ए-ख़्वाबीदा तक़दीर-ए-बेदार-ए-वतन

    आइना मेरी निगाहों पर है बार-ए-वतन

    मेरे दिल को याद है अब तक वो सत्तावन की जंग

    जिस के बा'द इस सरज़मीं पे छा गए अहल-ए-फ़रंग

    मेरी नज़रों में है मेरठ और देहली का ज़वाल

    जानता हूँ मैं जो था झांसी की रानी का मआल

    मैं नहीं भूला अभी अंजाम-ए-नाना-फ़रनवीस

    है नज़र में कोशिश-ए-नाकाम-ए-नाना-फ़रनवीस

    दास्ताँ जैसे भी हो गुज़री वो सब मालूम है

    तेरे दिल-बन्दों पे जो गुज़री वो सब मालूम है

    ये वतन रौंदा है जिस को मुद्दतों अग़्यार ने

    जिस पे ढाए ज़ुल्म लाखों चर्ख़-ए-ना-हंजार ने

    जिस को रक्खा मुद्दतों क़िस्मत ने ज़िल्लत-आश्ना

    जिस ने हर पहलू में देखी पस्तियों की इंतिहा

    आज फिर उस मुल्क में इक ज़िंदगी की लहर है

    ख़ाक से अफ़्लाक तक ताबिंदगी की लहर है

    आज फिर इस मुल्क के लाखों जवाँ बेदार हैं

    हुर्रियत की राह में मिटने को जो तय्यार हैं

    आज फिर है बे-नियाम इस मुल्क की शमशीर देख

    सोने वाले जाग अपने ख़्वाब की ता'बीर देख

    इस तरह लरज़े में है बुनियाद-ए-ऐवान-ए-फ़रंग

    खा चुके हैं मात गोया शीशा-बाज़ान-ए-फ़रंग

    हुब्ब-ए-क़ौमी के तरानों से हवा लबरेज़ है

    और तोपों की दनादन से फ़ज़ा लबरेज़ है

    शोर गीर-ओ-दार का है फिर फ़ज़ाओं में बुलंद

    आज फिर हिम्मत ने फेंकी है सितारों पर कमंद

    फिर उमंगें आरज़ूएँ हैं दिलों में बे-क़रार

    क़ौम को याद गया है अपना गुम-गश्ता वक़ार

    नौजवानों के दिलों में सरफ़रोशी की उमंग

    इश्क़ बाज़ी ले गया है अक़्ल बेचारी है दंग

    आज फिर इस देस में झंकार तलवारों की है

    कुछ निराली कैफ़ियत फिर देस के प्यारों की है

    जो तवानाई इरादों में है कोहसारों की है

    ज़र्रे ज़र्रे में निहाँ ताबिंदगी तारों की है

    ये नज़ारा आह लफ़्ज़ों में समा सकता नहीं

    आँख जो कुछ देखती है लब पे सकता नहीं

    फ़त्ह-ए-नुसरत की दुआओं से हुआ मा'मूर है

    नारा-ए-जय-हिंद से सारी फ़ज़ा मा'मूर है

    मुझ को शाह-ए-वतन अपने इरादों की क़सम

    जिन के सर काटे गए इन शाह-ज़ादों की क़सम

    तेरे मरक़द की मुक़द्दस ख़ाक की मुझ को क़सम

    मैं जहाँ हूँ उस फ़ज़ा-ए-पाक की मुझ को क़सम

    अपने भूके जाँ-ब-लब बंगाल की मुझ को क़सम

    हाकिमों के दस्त-परवर काल की मुझ को क़सम

    लाल-क़िले के ज़वाल शहर-ए-देहली की क़सम

    मोहसिन-ए-देहली मआल-ए-शहर-ए-देहली की क़सम

    मैं तिरी खोई हुई अज़्मत को वापस लाऊँगा

    और तिरे मरक़द पे नुसरत-याब हो कर आऊँगा

    तेग़-ए-हिन्दी जिस का लोहा मानता है इक जहाँ

    जिस की तेज़ी की गवाही दे रहा है आसमाँ

    तेग़-ए-हिन्दी जिस को मैं ने कर दिया है बे-नियाम

    जिस का शेवा हुर्रियत-केशी जहाँगीरी है काम

    जिस ने पूरी मुंसिफ़ी की आज तक दुनिया के साथ

    ज़ुल्म की दुश्मन है जो इक ज़ुल्म-ए-बे-पर्दा के साथ

    हर क़दम पर जिस ने बातिल को मिलाया ख़ाक में

    जिस के साखों की अभी तक गूँज है अफ़्लाक में

    आज फिर अपनी नज़र जिस की चमक से ख़ीरा है

    जिस की ताबानी से रौशन इक जहान-ए-तीरा है

    इक जज़ीरे के हसीं साहिल से जब टकराएगी

    चैन से मुझ को भड़कती आग में नींद आएगी

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए