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परिंदों भरा आसमान

बलराज कोमल

परिंदों भरा आसमान

बलराज कोमल

MORE BYबलराज कोमल

    लोग कहते हैं

    आवाज़ का

    एक चेहरा भी होता है

    अंदाज़ भी जिस्म भी

    सुर्ख़ सूरज का सोना

    दरख़्तों के उस पार

    महताब की सीम-गूँ मौज-ए-उर्यां

    समुंदर की आवेज़िशों का

    पुर-असरार नग़्मा

    मोहब्बत की लज़्ज़त की गर्मी

    कभी शबनमी नन्ही-मुन्नी सी लोरी

    कहानी

    सियहकार शब में

    कोई ख़ून-आलूदा बाब‌‌‌‌-ए-अदालत

    मुकाफ़ात का सिलसिला

    दिल की वीरानियों से गुज़रता हुआ

    कोई हर्फ़-ए-मलामत

    नदामत

    हुजूम-ए-नुक़ूश-ए-फ़रावाँ का हंगाम

    मैं याद करता हूँ

    आवाज़ चेहरा हसीं जिस्म

    सब ज़ाविए दाएरे और क़ौसें

    शब-ओ-रोज़

    रफ़्तार की आग में

    मौज-दर-मौज बहती हुई रागनी

    दौर की वादियों में

    सर-ए-शाम

    दम तोड़ती रौशनी

    नग़्मगी रौशनी नग़्मगी

    तीरगी बेबसी ख़ामुशी

    रंग-ओ-ख़ुशबू से सरशार

    सदियों पुरानी ज़मीं

    दूर जाता हुआ कारवाँ

    जिस्म-ए-आवाज़ का वहशी बे-ज़बाँ

    इक जुनूँ एक माकूस बरहम सकूँ

    ज़ेर-ओ-बम ज़ेर-ओ-बम

    इज़्तिराब इज़्तिराब

    अजनबी मौसमों का जहाँ

    फ़ासलों सरहदों से परे

    वुसअ'तों में पुर-अफ़्शाँ

    परिंदों भरा नीलगूँ बे-कराँ नीलगूँ आसमाँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : Lambi Barish (पृष्ठ 171)
    • रचनाकार : Balraj Komal
    • प्रकाशन : Sahitya Akademi, New Delhi (2002)
    • संस्करण : 2002

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