परिंदों भरा आसमान
लोग कहते हैं
आवाज़ का
एक चेहरा भी होता है
अंदाज़ भी जिस्म भी
सुर्ख़ सूरज का सोना
दरख़्तों के उस पार
महताब की सीम-गूँ मौज-ए-उर्यां
समुंदर की आवेज़िशों का
पुर-असरार नग़्मा
मोहब्बत की लज़्ज़त की गर्मी
कभी शबनमी नन्ही-मुन्नी सी लोरी
कहानी
सियहकार शब में
कोई ख़ून-आलूदा बाब-ए-अदालत
मुकाफ़ात का सिलसिला
दिल की वीरानियों से गुज़रता हुआ
कोई हर्फ़-ए-मलामत
नदामत
हुजूम-ए-नुक़ूश-ए-फ़रावाँ का हंगाम
मैं याद करता हूँ
आवाज़ चेहरा हसीं जिस्म
सब ज़ाविए दाएरे और क़ौसें
शब-ओ-रोज़
रफ़्तार की आग में
मौज-दर-मौज बहती हुई रागनी
दौर की वादियों में
सर-ए-शाम
दम तोड़ती रौशनी
नग़्मगी रौशनी नग़्मगी
तीरगी बेबसी ख़ामुशी
रंग-ओ-ख़ुशबू से सरशार
सदियों पुरानी ज़मीं
दूर जाता हुआ कारवाँ
जिस्म-ए-आवाज़ का वहशी बे-ज़बाँ
इक जुनूँ एक माकूस बरहम सकूँ
ज़ेर-ओ-बम ज़ेर-ओ-बम
इज़्तिराब इज़्तिराब
अजनबी मौसमों का जहाँ
फ़ासलों सरहदों से परे
वुसअ'तों में पुर-अफ़्शाँ
परिंदों भरा नीलगूँ बे-कराँ नीलगूँ आसमाँ
- पुस्तक : Lambi Barish (पृष्ठ 171)
- रचनाकार : Balraj Komal
- प्रकाशन : Sahitya Akademi, New Delhi (2002)
- संस्करण : 2002
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