तुझ में सब मंज़र महफ़ूज़
नन्हे-मुन्ने आँसू तेरी उम्र-ए-दराज़
तुझ में सारी दुनिया का मंज़र महफ़ूज़
तू सारे लम्हों का साज़
तेरे अंदर क़ौस-ए-क़ुज़ह के सातों रंगों के झरने
जगमग करते सूरज चाँद
सब्ज़ समुंदर
धानी मौसम की ख़ुश्बू
हाथ पसारे काले मौसम का जादू
और दहकते अँगारों के सुर्ख़ महल
तू बाज़ार, घरों और चौराहों का हाकिम
ममता की रौशन तस्वीर
सारे ख़स्ता
नीम-बरहना ख़ाक-आलूद अज्साम की इक रख़्शाँ तहरीर
तेरे आगे
शाहों और शहंशाहों के
ताज भी आ कर झुक जाते हैं
देखो तो इक नन्हा क़तरा
लेकिन एक बड़ा तूफ़ान
नन्हे-मुन्ने आँसू
तेरी उम्र-ए-दराज़
- पुस्तक : Hukm Nama (पृष्ठ 17)
- रचनाकार : SultanSubhaanii
- प्रकाशन : Sardar Art Press Malegaon (1985)
- संस्करण : 1985
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