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तुम्हें इजाज़त है

तनवीर अंजुम

तुम्हें इजाज़त है

तनवीर अंजुम

MORE BYतनवीर अंजुम

    क्यों करते हो तुम

    फैशन से बाहर

    मसनूई फूलों से

    इतनी ज़ियादा नफ़रत

    ये भर देते हैं रंग

    हमारे कमरों में

    ऐसे घरों के

    जिन में बाग़ नहीं हैं

    गमले नहीं हैं

    हम रहते हैं मिल-जुल कर

    सौ से ज़ाइद घरों की

    एक इमारत में

    अजनबियों के साथ

    ये बचा लेते हैं

    हमें ज़हमतों से

    हर रोज़ मुरझाने वाले

    फूल ख़रीदने और बदलने की

    या बाग़ रखने की

    तुम्हें इजाज़त है

    हमारी क़ब्र पर मसनूई फूल रख देना

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